Bonsai Kahaniyan
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Date
2015
Authors
Journal Title
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Volume Title
Publisher
Prabhat Prakashana
Abstract
संदर सृजन बिना पीड़ा के कब संभव हो पाया है, जब पीड़ा घनी हो जाती है तब उसे बरसना ही पड़ता है। लो बरस गई पीड़ा बोनसाई कहानियों के रूप में। ये कहानियाँ आपको नारी सशक्तीकरण, नारी समानता, नारी हिंसा, कन्याभ्रूण हत्या पर गहन विश्लेषण करती दिखाई देंगी। इन कहानियों में जहाँ एक ओर मानवीय संवेदना दिखाई देती है, वहीं दूसरी ओर समाज में दरकते रिश्तों की टूटन भी दिखाई पड़ती है। कहानियाँ लोगों के पाखंड तथा तर्ककुतर्क का स्पष्ट आईना हैं। यह बोनसाई आकार में छोटी सही, पर विचारों से लबरेज है। इन बहुरंगी और पठनीय कथाओं में लेखिका ने जीवन के छोटेछोटे, परंतु अर्थपूर्ण क्षेपकों के माध्यम से समसामयिक ज्वलंत प्रश्नों और समस्याओं को उठाकर अपने सामाजिक और मानवीय सरोकारों की आश्वस्तिकारक बानगी प्रस्तुत की है। पुस्तक में अधिकांश जगह भाषा में गहनता दिखाई देगी, पर मौका मिलते ही लेखिका ने जगहजगह हास्यव्यंग्य की शैली भी अपनाई है, जो पाठकों के मिजाज के अनुकूल है। फास्ट फूड तथा पाउच के जमाने में वक्त की कमी को देखते हुए कहानियाँ भी छोटीछोटी होनी चाहिए न! उसी का प्रयास हैं ये कहानियाँ। निश्चय ही हर आयु वर्ग के पाठकों के लिए मनोरंजक एवं पठनीय।
Description
Keywords
Technology & Engineering, Agriculture, Agricultural & Biological Sciences::Agriculture Sciences::Agricultural Biotechnology